18000 करोड़ से बन रहा है ये नया एक्सप्रेस वे, अब कुछ ही घंटों में दिल्ली और हरियाणा से पहुंच जाएंगे देहरादून

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राजकुमार मित्तल
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नई दिल्ली: भारत माला सडक़ परियोजना के अंतर्गत अब एक और बड़ा हाईवे बनाया जा रहा है, जिससे चार प्रदेशों का आपस में जुड़ाव होगा और सभी राज्यों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। वहीं इस नए हाईवे के निर्माण से 6 घंटे में होना वाला सफर घटकर ढाई घंटे रह जाएगा। इस परियोजना पर केंद्र सरकार करीब 18000 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। इस सडक़ परियोजना की सबसे खास बात यह है कि इसे एनजीटी ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। यानि कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मंजूरी के बाद इस परियोजना पर जल्द से जल्द काम शुरू होने की तैयारी भी कर ली है।

पीएम ने रखी थी आधारशिला

तो आईए आपको बताते हंै इस महत्वपूर्ण सडक़ परियोजना के बारे में। दिल्ली, हरियाणा के रास्ते देहरादून तक बनने वाले इस हाईवे का निर्माण भारतमाला सडक़ परियोजना के तहत किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 दिसंबर 2021 को इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी। यह रोड पूरी तरह से आधुनिक और हाईस्पीड होगी, जिस पर सफर करना का अलग ही मजा होगा। इस परियोजना की खास बात यह है कि इस हाईवे पर 6 घंटे की दूरी महज ढाई से तीन घंटे में पूरी की जा सकेगी।

तेज स्पीड होगी यात्रा

यानि कि दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के लोग अब उत्तराखंड की सैर करने के लिए इस हाईवे पर आरामदायक और तेज स्पीड यात्रा कर सकेंगे। बता दें कि इस परियोजना पर एनजीटी ने कई शर्ते लगाई हैं और उसके लिए बकायदा एक कमेटी गठित की है, जोकि इस पूरी परियोजना पर अपनी नजर रखेगी। दरअसल बता दें कि इस हाईवे के निर्माण के लिए काफी संख्या में पेड काटे जाने हैं, जोकि सीधे तौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना होगा। इसलिए एनजीटी के इस परियोजना पर रोक लगाई हुई थी। पंरतु अब एनजीटी ने अनेक शर्तों के साथ इस हाईवे के निर्माण को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

मंजूरी देने से पहले महत्वपूर्ण टिप्पणी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ.नागिन नंदा की पीठ ने इस एक्सप्रेसवे को मंजूरी देने से पहले महत्वपूर्ण टिप्पणी की । इन्होंने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को वन मंजूरी देने के दौरान विवेक का इस्तेमाल नहीं किया होगा । NGT ने कहा कि एक बार प्रोजेक्ट की मंजूरी देने के बाद इसके परिणामस्वरूप दूसरे चरण में पेड़ काटने की मंजूरी देनी होती है। हालांकि हम देख सकते हैं कि पारदर्शिता के लिए दूसरे चरण/पेड़ काटने की मंजूरी, पहले चरण के बाद दी जानी चाहिए और इसे तुरंत वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए ।

NHAI को सौंपा निगरानी का काम

एनजीटी ने दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे की निगरानी का काम राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI को सौंपा है । एनजीटी ने प्राधिकरण से कहा है कि एक्सप्रेसवे का निर्माण पर्यावरण के अनुकूल हो, इससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे, NHAI इसके लिए स्वतंत्र निगरानी प्रणाली बनाए। इस निगरानी के लिए NGT ने 12 सदस्यों वाला एक्सपर्ट पैनल बनाया है। इसकी अध्यक्षता उत्तराखंड के मुख्य सचिव करेंगे, इसमें भारतीय वन्य जीव संस्थान, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य को शामिल किया गया है।

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