New Delhi: जब गायकी का नाम आता है तो सबसे पहले लता दीदी को ही याद किया जाता है। वहीं अभिनय की दुनिया की बता आए तो दिलीप कुमार को भी भूला नहीं जा सकता। दोनों ही अपने अपने क्षेत्रों के दिग्गज के तौर पर जाने जाते हैं। हालांकि अब दोनों ही इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं लेकिन दोनों के फैन्स आज भी उन्हें भुला नहीं पाए हैं।
बताया जाता है कि दिलीप और लता दीदी की आपस में काफी अच्छी बनती थी। दोनों ही आपस में सगे भाई बहन से भी ज्यादा प्यार करते थे। लेकिन दोनों के बीच एक समय ऐसा भी आया था जब दोनों के रिश्तों में खटास आ गई थी। करीब 13 साल तक दोनों ने एक दूसरे से बातचीत नहीं की थी। लेकिन फिर दोनों के बीच सुलाह हो गई। आइए जानते हैं इस किस्से से जुड़ी अहम बातें।
ब्रांडी पीकर लता दीदी के साथ की थी रिकॉर्डिंग
बताया जाता है कि दिलीप और लता जी के बीच भाई बहन जैसा ही बेहद सुंदर रिश्ता था। दिलीप भी लता दीदी को अपनी छोटी बहन ही मानते थे। बताया तो जाता है कि लता दीदी दिलीप के राखी भी बांधती थी। लेकिन एक बार तो दिलीप ने ब्रांडी पीकर ही लता दीदी के साथ रिकॉर्डिंग की थी। दरअसल 1957 में लागी नाही छूटे गाने के लिए लता दीदी और दिलीप कुमार को ही चुना गया था। लेकिन लता दीदी के सामने दिलीप कुमार के लिए गाना आसान नहीं था।
हालांकि दिलीप ने खूब अभ्यास भी किया लेकिन वे लता दीदी के सामने काफी झिझक रहे थे। तब सलिल चौधरी ने दिलीप को ब्रांडी पीला दी थी आउर फिर रिकॉर्डिंग करने के लिए कहा। लेकिन ऐसे में भी दिलीप ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाए और लता दीदी भी उनसे नाराज़ हो गई थी।
दिलीप ने लता दीदी की उर्दू का उड़ाया था मज़ाक
वहीं एक बार दिलीप ने लता दीदी की उर्दू का मज़ाक उड़ाते हुए कह दिया था कि मराठियों की उर्दू दाल चावल जैसी होती है। जिसका मतलब ये है कि अच्छी नहीं होती। इस बात से लता दीदी दिलीप से खफा हो गई थी और उरड्डु सीखने लागी। वहीं 13 साल तक दोनों ने एक दूसरे से बात तक नहीं की। लेकिन फिर खुशवंत सिंह ने ही दोनों के बीच वापस से बातचीत शुरू करवाई।