जींद : आज के समय में कई लोग खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि एक समय था जब लोग सिर्फ पारंपरिक खेती बाड़ी ही किया करते थे। लेकिन आज के समय में नई नई तकनीक से खेती बाड़ी की जा रही है। वहीं आज हम आपको हरियाणा के रहने वाले पाँच दोस्तों के बारे में ही बताने जा रहे हैं जो आज पारंपरिक खेती को छोड़ सुगंधित पौधों की खेती बाड़ी कर रहे हैं।
इस तरह की खेती बाड़ी से पांचों को लाखों की कमाई भी हो रही है। ऐसे में हर कोई उनके जज़्बे की तारीफ भी कर रहा है। इसमें विनोद, मिठन, अशोक, बलिन्द्र कुमार और राजेश शामिल हैं। पांचों मिलकर आज सुगंधित पौधों की खेती बाड़ी कर रहे हैं। हर तरफ उन्हीं की ही चर्चा हो रही है। हालांकि ये सब उनके लिए आसान नहीं था लेकिन पांचों आज इसी से अपनी अलग पहचान बनाने का काम कर रहे हैं। आइए जानते हैं खबर को विस्तार से।
पारंपरिक खेती से नहीं हो रहा था मुनाफा
आज खेती के क्षेत्र में कई संभावनाएं नज़र आ रही हैं। कई युवा भी खेती बाड़ी की तरफ ही आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि खेती बाड़ी करना आसान नहीं है। लेकिन आज कई लोग इस क्षेत्र में सफलता को हासिल कर चुके हैं। हालांकि ऐसे भी कई किसान है जो पारंपरिक खेती ही करते हैं जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता है। आज कहानी ऐसे ही पाँच दोस्तों की जो पारंपरिक खेती बाड़ी को छोड़ सुगंधित पौधों की खेती बाड़ी कर रहे हैं।
इसमें हरियाणा के जींद के ढ़ाबीटेकसिंह के विनोद, नारायणगढ़ के मिठन लाल और अशोक, उझाना के बलिन्द्र कुमार और गढ़ी निवासी राजेश शामिल हैं। पांचों पहले पारंपरिक खेती बाड़ी ही किया करते थे। इसमें वे सब्जी उगाने का काम किया करते थे लेकिन इससे उन्हें अच्छा मुनाफा नहीं हो पाती थी और इस तरह की खेती बाड़ी में मेहनत भी काफी ज्यादा थी। ऐसे में पांचों ने मिलकर पारंपरिक खेती बाड़ी को छोड़ सुगंधित पौधों की खेती बाड़ी करने का फैसला किया और आज इसी से अच्छी ख़ासी कमाई भी कर रहे हैं।
शुरू की सुगंधित पौधों की खेती बाड़ी
दरअसल जब वे पारंपरिक खेती बाड़ी कर रहे थे तो इसी दौरान उन्हें सुगंधित पौधों की खेती बाड़ी के बारे में पता चला। इसके बाद ही पांचों ने इस तरह की खेती बाड़ी करनी शुरू कर दी। वहीं धीरे धीर उन्हें इस तरह की खेती में महारथ हासिल हो गई। आज पांचों करीब 25 एकड़ जमीन पर खेती बाड़ी कर रहे हैं। इस खेती बाड़ी में वे गुलाब, खसखस, मेंथा, तुलसी, और पुदीना जैसी फसलों की खेती बाड़ी कर रहे हैं।
बता दें कि इसके साथ साथ वे अन्य कई तरह के पौधों की खेती बाड़ी भी कर रहे हैं। इससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी हो रहा है। उन्होंने बताया है कि वे इन सुगंधित पौधों का तेल निकालकर बेचने का भी काम करते हैं। इसी से उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी होता है। उनके मुताबिक एक एकड़ में सुगंधित पौधों की खेती करने में भी करीब 20 हज़ार रूपये तक का खर्च आ जाता है।
आज इसी से हो रही है लाखों की कमाई
बता दें कि आज इसी खेती बाड़ी से उन्हें अच्छी ख़ासी कमाई हो रही है। पांचों दोस्त मिलकर ही काम कर रहे हैं और पांचों को अच्छी कमाई हो रही है। एक एकड़ पर उन्हें करीब 70 हज़ार तक की कमाई होती है। वहीं इसमें खर्च निकाल दिया जाए तो करीब 50 हज़ार तक की कमाई हो जाती है। आज इन पांचों को देखकर गाँव के अन्य लोग भी इस तरह की खेती बाड़ी के लिए आकर्षित हो रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इस तरह की खेती बाड़ी सिर्फ अंबाला या जींद में ही की जाती है। जानकारी के अनुसार ये फसल सिर्फ 190 दिनों में ही तैयार हो जाती है। एक एकड़ में करीब 70 से 80 किलो तक फसल हो जाती है। वहीं इन पौधों को ज्यादा सिंचाई की भी जरूरत नहीं होती है। बता दें कि बागवानी विभाग द्वारा इन पौधों की खेती के लिए 16 हज़ार रूपये प्रति हेक्टेयर अनुदान राशि देने का प्रावधान भी किया है। एक किसान को चार हेक्टेयर तक अनुदान राशि मिल सकती है।