विनोद खन्ना और महेश भट्ट काफी अच्छे दोस्त मानेे जाते थे। महेश भट्ट को हिट निर्देशकों की सूची में लाने का श्रेय भी विनोद खन्ना केा ही जाता है। दोनों की दोस्ती मेरा गांव मेरे देश फिल्म से शुरू हुई थी। इस फिल्म में महेश भट्ट निर्देशक राज खोसला के सहायक थे। इस फिल्म से विनोद खन्ना और महेश की दोस्ती शुरू हुई। लेकिन फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद दोनों का अधिक मिलना नहीं हुआ। यह कह सकती है कि दोनों की दोस्ती फिल्म के सेट तक ही सीमित होकर रह गई।
मेरा गांव मेरे देश से विनोद खन्ना बन गए सुपरस्टार
मेरा गांव मेरे देश फिल्म से विनोद खन्ना एक सुपरस्टार हीरो बन गए। महेश भट्ट ने इसके बाद मंजिले और भी है फिल्म का निर्देशन किया। यह फिल्म बुरी तरह से फ्लाप हो गई। इस फिल्म के फ्लाप होने के बाद महेश भट्ट बुरी तरह से टूट गए। इसके बाद उन्होंने शादी की। और पूजा भट्ट के पिता बन गए। अब उनको काम की ओर अधिक जरूरत थी।
विनोद खन्ना ने किया मदद करने का निर्णय
जब महेश भट्ट की हालत का विनोद खन्ना को पता चला तो उन्होंने महेश भट्ट की मदद करने का निर्णय लिया। विनोद खन्ना ने लहू के दो रंग फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर शंकर पर यह दवाब डाला कि वह महेश भट्ट को यह फिल्म दे। लेकिन इस फिल्म का निर्देशन सीरू दरयानी खुद ही करना चाहते थे। ऐसे में वह विनोद खन्ना को इंकार कर रहे थे। लेकिन विनोद खन्ना ने अड़ते हुए कहा कि अगर महेश भट्ट ने फिल्म का निर्देशन नहीं किया तो वह फिल्म छोड़ देंगे। अंत में महेश भट्ट को फिल्म देनी ही पड़ी। लेकिन यह बात महेश भट्ट को नहीं बताई गई कि उनको फिल्म कैसे मिली।
शूटिंग के दौरान दोनों में पैदा हो गए मतभेद
शूटिंग के दौरान महेश भट्ट और विनोद खन्ना में मतभेद पैदा हो गए। महेश भट्ट ने निर्माता से कहा कि वह उनमे और विनोद खन्ना में से किसी एक को ही फिल्म में रखे। निर्माता ने पहले महेश भट्ट को काफी मनाने का प्रयास किया। जब महेश भट्ट मानने को तैयार नहीं तो निर्माता ने उनको बताया कि यह फिल्म उनको कैसे मिली। सच्चाई सुनकर महेश भट्ट विनोद खन्ना के गले लगकर रोने लगे। विनोद खन्ना भी बड़े दिलवाले थे। उन्होंने भी महेश भट्ट को माफ कर दिया।