New Delhi: वो साल था 1975, जिसे आज तक भी कोई भूल नहीं पाया है। आज भी 25 जून 1975 का वो दिन सभी को याद है जब भारत की जनता को पता चला कि राष्ट्र में राष्ट्रपति द्वारा इमरजेंसी लगा दी गई है। इस दौरान बहुत कुछ ऐसा हुआ जजो आज भी भुला नहीं जा सकता। वहीं इमरजेंसी लगने के करीब 5 महीने पहले भी कुछ ऐसा हुआ था जो इमरजेंसी के लपेटे में आ गया।
दरअसल इमरजेंसी से पहले 13 फरवरी 1975 को एक फिल्म रिलीज़ हुई थी जिसका नाम था “आंधी” बेशक ये फिल्म इमरजेंसी से पहले रिलीज़ हो गई हो लेकिन इमरजेंसी का प्रभाव इस फिल्म को भी झेलना पड़ा। इमरजेंसी से पहले ये फिल्म रिलीज़ हुई लेकिन इमरजेंसी के बाद इसे बैन किया गया फिर वहीं दो साल बाद इस पर से वापस बैन हटा दिया गया। आइए जानते हैं इस फिल्म से जुड़ी खास बातें।
फिल्म को लेकर उड़ी थी अफवाहें
दरअसल जब ये फिल्म रिलीज़ हुई तो लोगों ने आपस में बात करना शुरू कर दिया कि इस फिल्म में इन्दिरा गांधी के जीवन को दिखाया गया। इतना ही नहीं इस फिल्म के लिए तो पोस्टर भी छप गए थे जिन पर लिखा गया था कि “अपनी प्रधानमंत्री को बड़े परदे पर देखें” वहीं दिल्ली के एक अखबार में फिल्म को लेकर एक विज्ञापन भी दिया गया था जिसमें लिखा गया था “आजाद भारत की एक महान महिला नेता की कहानी”
ऐसे में ये अफवाहें कॉंग्रेस पार्टी तक भी पहुंची ही गईं। ऐसे में इन्दिरा को भी छवि खराब होने का डर सताने लगा था। क्यूंकि उस वक़्त देश के हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे। ऐसे में इंदिरा ने अपने दो अधिकारियों को फिल्म देखने जाने के लिए कहा। उनके दो अधिकारियों ने फिल्म देखी और उन्हें ये फिल्म खूब पसंद आई साथ ही उन्हें फिल्म में कोई समस्या भी नज़र नहीं आई। वहीं उस समय के सूचना एवं प्रसारण मंत्री इन्द्र कुमार गुजराल ने भी इस फिल्म को देखा था लेकिन उन्हें भी फिल्म को कुछ गलत नहीं लगा।
फिल्म की लीड नायिका को लेकर हुआ था विवाद
हालांकि जब इन्दिरा गांधी द्वारा इस फिल्म की जान करवाई जा रही थी तभी फिल्म के निर्देशक गुलज़ार इस बात को साफ कर चुके थे कि फिल्म का इन्दिरा गांधी के जीवन से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन इस फिल्म की लीड नायिका के कारण ही इस विवाद ने जन्म लिया था। फिल्म में मुख्य नायिका का किरदार सुचित्रा सेन ने निभाया था। फिल्म में सुचित्रा का पहनावा, चाल-ढाल, बोलने का तरीका जैसी कई चीज़ें इन्दिरा गांधी से मेल खाती थी।
वहीं सुचित्रा के बालों को भी उसी तरह से सफ़ेद किया गया था जैसे इन्दिरा गांधी के थे। हालांकि फिल्म निर्माताओं ने इस बात को महज एक इत्तेफाक ही बताया था। लेकिन कई वर्षों बाद गुलज़ार ने बताया था कि उन्होंने इस फिल्म की लीड नायिका के किरदार के लिए इन्दिरा गांधी से ही प्रेरणा ली थी लेकिन किरदार उनके ऊपर आधारित नहीं था।
रिलीज़ होने के बाद बैन हुई फिल्म
दरअसल इस फिल्म को रिलीज़ होने के बाद बैन किया गया था। लेकिन तब तक पूरा देश इस फिल्म को देख चुका था। फिल्म के गाने भी अच्छे थे इसलिए ये गाने भी दर्शकों को याद हो चुके थे। वहीं फिल्म में कुछ ऐसे सीन थे जिसमें सुचित्रा सिगरेट और शराब पी रही थी तो लोगों ने इसे इन्दिरा गांधी से जोड़ना शुरू कर दिया था। कई विपक्षी नेता भी इन्हीं सींस का फायदा उठाने लगे थे। लोगों ने इन सीन्स को ऐसे प्रदर्शित किया जैसा इन्दिरा ही ये सब काम कर रही हों। ऐसे में इन्दिरा ने इस फिल्म को बैन करवा दिया।
जिस समय इस फिल्म को बैन किया गया था तब गुलज़ार साहब मॉस्को में थे जहां फिल्म को फिल्म फेस्टिवल में दिखाना था। लेकिन उन्हें पता चला कि इंडिया में फिल्म बैन कर दी गई है जिसके बाद इस फिल्म की स्क्रीनिंग को भी रोक दिया गया था। जब गुलज़ार साहब भारत आए तो उन्हें फिल्म में से वो सीन हटाने के आदेश मिले जिसमें सुचित्रा को सिगरेट और शराब पीते हुए दिखाया गया है।
ऐसे में गुलज़ार साहब ने फिल्म से शराब और सिगरेट पीने वाला सीन हटा दिया और उसमें वो सीन जोड़ दिया जिसमें सुचित्रा इन्दिरा गांधी अपना प्रेरणा स्त्रोत बता रही हैं। इसके बाद 1977 में इमरजेंसी को हटा दिया गया और केंद्र में जनता दल की सरकार आ गई थी जिसने फिल्म पर से भी बैन हटा दिया था। वहीं इस फिल्म को नेशनल टेलीविज़न पर प्रसारित भी किया गया था।
फिल्म को ऐसे मिली अपनी मुख्य नायिका
आँधी फिल्म को दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया गया था। इस फिल्म के गाने आज भी कई दर्शकों को कंठस्थ हैं। लेकिन फिल्म की सफलता का श्रेय मुख्य नायिका सुचित्रा सेन को भी जाता है। सुचित्रा ने इस किरदार को कुछ यूं निभाया जैसे ये किरदार सिर्फ उन्हीं के लिए बना है। दरअसल फिल्म के प्रोड्यूसर जे ओमप्रकाश ने गुलज़ार साहब से मुलाक़ात की और उनके लिए एक फिल्म बनाने की ख्वाइश रखी। सचिन भौमिक ने ये कहानी लिखी जिसे गुलज़ार, संजीव और ओम प्रकाश तीनों ने सुना। फिल्म एमिन वे सुचित्रा को ही लेना चाहते थे।
लेकिन कहानी इतनी दिलचस्प नहीं थी इसलिए उन्होंने सुचित्रा को बंगाल से बुलाना उचित नहीं समझा। उनके मुताबिक सुचित्रा के लिए कोई खास कहानी का होना जरूरी था। वहीं गुलज़ार फिल्म “आंधी” पर काम कर रहे थे। जो फिलहाल एक आइडिया ही था। लेकिन फिर इस फिल्म को कहानी का रूप दिया गया जो बेहद दिलचस्प थी। इसके बाद इस फिल्म के लिए सुचित्रा और संजीव कुमार को चुना गया था।