वो अभिनेता जिसने अपना रोल छोड़कर अमिताभ को दी थी फिल्म, रातों रात अमिताभ को बना दिया था स्टार

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पुलकित कपूर
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New Delhi: अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक कहा जाता है। उन्होंने अपनी एक्टिंग से वाकई हिन्दी सिनेमा को एक नई पहचान दी है। लेकिन अमिताभ के लिए भी इस इंडस्ट्री में जगह बना पाना आसान नहीं था। एक समय था जब इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए अमिताभ भी स्ट्रगल कर रहे थे। ऐसे में एक अभिनेता ने उन्हें पहचान दी और देश को सुपरस्टार भी दिया।

इस अभिनेता का नाम टीनू आनंद है। टीनू ने ही अमिताभ बच्चन को अपना रोल दिया और ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी। लेकिन टीनू आनंद की जिंदगी में भी कई उतार चढ़ाव रहे हैं। वहीं टीनू कब निर्देशक से फेमस अभिनेता बन गए उहें भी पता नहीं चल पाया। आज हम आपको टीनू से जुड़े ही कुछ किस्से बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

पिता नहीं चाहते थे कि बेटा फिल्मों में जाए

बता दें कि टीनू आनंद लेखक इंदर राज आनंद के बेटे हैं। इंदर साहब ने भी कई फिल्मों को लिखा है। इंडस्ट्री में भी इंदर साहब ने अपनी अलग पहचान बनाई थी वहीं वे इंडस्ट्री कि मुश्किलों को भी जानते थे। ऐसे में वे नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे फिल्म की दुनिया में जाएं। इसलिए उन्होंने अपने बेटों को अजमेर पढ़ने के लिए भेज दिया था। लेकिन हुआ कुछ उल्टा ही दरअसल जब टीनू वापस आए तो उन्होंने फिल्म मेकिंग के क्षेत्र में जाने की बात इंदर साहब को बताई।

पहले तो इंदर साहब काफी नाराज़ हुए लेकिन उन्हें समझ आ गया था कि टीनू सिर्फ इसी क्षेत्र में जाना चाहते हैं। कुछ समय बाद उन्होंने अपने बेटे की बात को मान लिया। वहीं टीनू के पिता की इंडस्ट्री में अच्छी ख़ासी पहचान भी थी इसलिए उन्होंने टीनू को फिल्म मेकिंग सिखाने के लिए फोन घुमाना भी शुरू कर दिया।

पिता ने तीन लोगों से फिल्म मेकिंग सीखने का दिया विकल्प

दरअसल जब टीनू फिल्म मेकिंग में जाने का ठान चुके थे तब इंदर साहब ने उन्हें फिल्म मेकिंग सीखने के लिए तीन नाम दिए। जिसमें पहला नाम राज कपूर का था दूसरा सत्यजीत रे और तीसरा इटैलियन फिल्म मेकर फेड्रिको फेलिनी का था ऐसे में टीनू राज कपूर के पास जा नहीं सकते थे क्यूंकि दोनों परिवारों के रिश्ते अच्छे नहीं थे। इसके बाद टीनू ने फेलिनी से फिल्म मेकिंग सीखने का फैसला किया।

लेकिन फेलिनी ने उनके सामने शर्त रखी कि उन्हें इटली इटैलियन भाषा सीखकर आना होगा। ऐसे में टीनू को 6 महीने का इंतज़ार करना पड़ता। लेकिन अब वे इंतज़ार नहीं करना चाहते थे। जिसके बाद इंदर साहब ने सत्यजीत रे को चिट्ठी लिखकर बेटे को फिल्म मेकिंग सिखाने का आग्रह किया। इसके बाद टीनू ने सत्यजीत रे से फिल्म मेकिंग को सीखा।

अमिताभ को रातों रात बना दिया स्टार

दरअसल चिट्ठी लिखने के लिए सत्यजीत रे का जवाब 1 महीने बाद आया था इसी बीच में टीनू ने एक फिल्म को भी साइन कर लिया था। दरअसल फिल्ममेकर के ए अब्बास फिल्म “सात हिन्दुस्तानी” में काम कर रहे थे। वहीं टीनू भी हमेशा अब्बास साहब से रोल मांगते थे। ऐसे में अब्बास ने टीनू को फिल्म में लीड रोल दे दिया था। सात हिंदुस्तानी में टीनू को कवि का रोल ऑफर हुआ था।

वहीं फिल्म में हीरोइन के लिए भी टीनू कि दोस्त नीना को लिया गया था। तभी नीना ने एक फोटो टीनू को दिया और बताया कि ये लड़का भी एक्टिंग करना चाहता है कुछ काम मिले तो उसे बताएं। टीनू ने भी इस लड़के के बारे में अब्बास साहब से बात की। लेकिन अब्बास ने कह दिया था कि इस लड़के को कलकत्ता से ऑडिशन के लिए खुद के खर्चे पर बंबई आना होगा और अपने खर्चे पर ही रुकना होगा।

ये लड़का और कोई नहीं बल्कि अमिताभ बच्चन थे। अमिताभ भी उस वक़्त स्ट्रगल कर रहे थे इसलिर उन्होंने अब्बास साहब की बात को मान लिया। लेकिन अमिताभ को ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और उन्हें कवि का दोस्त का रोल मिला जिसके लिए उन्हें 5 हज़ार रूपये में तैयार किया गया। लेकिन इसी बीच टीनू को सत्यजीत रे का जवाब मिल चुका था और उन्हें सत्यजीत रे के पास जाना पड़ा। ऐसे में लीड रोल अमिताभ को मिला और ये फिल्म हिट रही।

अजय देवगन के पिता ने सिखाए फिल्म के गुर

दरअसल टीनू ने सोचा कि उन्होंने सत्यजीत रे के यहाँ से काम सीखा है तो उन्हें फट से काम मिल जाएगा। लेकिन ऐसा न हो सका। दरअसल सत्यजीत रे एक सीरियस फिल्म मेकर थे इसलिए सभी को लगा कि टीनू भी वैसी ही फिल्म बनाएंगे। ऐसे में करीब 2 वर्षों तक टीनू को कोई काम नहीं मिल पाया।

लेकिन एक बार टीनू ने खुद बताया था कि बेशक उन्होंने सत्यजीत रे से काम सीखा लेकिन फिल्म मेकिंग के असली गुर उन्हें अजय देवगन के पिता वीरू देवगन ने ही सिखाए थे। उन्हें वीरू ने कहा था कि यदि हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में काम करना है तो हीरो के साथ काम करना भूलना पड़ेगा। वे उन्हें हीरो की गैरमौजूदगी में भी शूटिंग करना सीखा रहे थे।

मद्रास की सड़कों पर निकलना हो गया था मुश्किल

दरअसल बात है तब कि जब कमल हासन पुष्पक फिल्म बना रहे थे। कमल की पत्नी सारिका टीनू को अच्छे से जानती थी। ऐसे में उन्होंने टीनू को फोन किया और फिल्म में काम करने के लिए कहा। हालांकि जो किरदार टीनू को ऑफर किया जा रहा था उसे अमरीश पुरी निभाने वाले थे लेकिन व्यस्त होने के कारण ऐसा न हो सका तब ये रोल टीनू को दिया गया। उस वक़्त टीनू अमिताभ के साथ काम कर रहे थे। लेकिन वे कमल की बात को नहीं टाल पाए।

हालांकि इस फिल्म को लेकर टीनू ज्यादा सिरियस नहीं थे। लेकिन कमल काफी सिरियस थे और उन्होंने कहा था कि यदि ये रोल जैसा लिखा गया है वैसा ही आया तो टीनू का मद्रास की सड़कों पर निकलना मुश्किल हो जाएगा और हुआ भी ऐसा ही। फिल्म में टीनू ने ये किरदार वैसा ही निभाया जिसके बाद वे फिल्म मेकर से सुपरहिट अभिनेता बन गए। मद्रास की जनता को टीनू का किरदार बेहद पसंद आया था।

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